रतनमंजनी  ( बुआ )

उस  दिन हिम्मत और डर की गज़ब लड़ाई हुई थी , सुबह उठ के घर के सारे  काम किये ;बिना किसी को ये एहसास दिलाए की आज उन्हें जाना था किसी को खुद को समर्पित करने , समाज के बंधन तोड़ने ।  मन में हज़ार संशय थे फिर भी दिल की सुनी और अपने मानवीय…

‘लोग क्या कहेंगे’

‘लोग क्या कहेंगे’ की उम्र कैद की सज़ा से अब मैंने अपने ख़्यालों को रिहा करने का मन बनाया है । मन भी तब बनाया जब लोग ही कहने लगें की जेल में है तो कोई बड़ा अपराध किया होगा , अब देखना है बचा क्या है ? ख़्यालों के पंख हैं या कट गये…

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A lion sleeps in the heart of every brave man….