समाज ने अपना खुद ही मज़ाक बना दिया है विक्षिप्त विवाहों का दौर चला कर , रिश्तों और धार्मिक रीति रिवाजों की आत्मा का समाज स्वयं दमन कर रहा है। आज फिर समाज के अहं की संतुष्टी के लिए मानवता का तर्पण कर दिया गया। महज़ समाज की सन्तुष्टि के लिए रिश्तों की भावनाओं और…
राधा की मौसी …
राधा नाम तो काल्पनिक ही है लेकिन उसकी मौसी हकीकत की लिखी एक कहानी का किरदार है । मुझे बस इतना मालूम था कि उनके पति का स्वर्गवास विवाह के कुछ दिन बाद हो गया था , संतान भी नहीं हो पाई थी जो उनमे ख़ुशी ढूंढ लेती । वो अपनी बहन की बेटियां के…
मोबाइल चाहिए……
किन्ही वजहों से देर से ऑंखें खुली और सुबह हो चुकी थी ; शर्मिंदगी से बचने का मौका भी अँधेरा अपने साथ लेकर चला गया था। कम्भख्त अँधेरा ! थोड़ी देर रुक नहीं सकता था ? दिल में अफसोफ भी खूब हुआ सुबह जल्दी न उठ पाने का।’ खैर कोई बात नहीं ‘ और ‘…
इंसान कब मरेंगें ……?
आप कोई भी घटना उठा लीजिये , हिटलर से लेकर हिंदुस्तान का बटवारा या रायबरेली का हाल में हुआ नर संहार या कुछ साल पहले हुई दादरी घटना या उससे पहले हुए वीभत्स्य गुजरात दंगे। इन सभी घटनाओं में एक चीज़ जरूर थी ; शोर खूब हुआ , राजनीती खूब हुई , शासन से लेकर…
मनोस्थितिः
समाज उन्हें बेचारा कहता है। उन्हें हमदर्दी , सहानुभूति का राशन भी बांटा जाता है वो भी मुफ़्त में। लेकिन उन्हें फर्क नहीं पड़ता। क्योंकि वो उम्मीद नहीं करते। कहते है न ‘ उम्मीद पर दुनियाँ कायम है ‘ लेकिन उन्हें जीना होता है हर उम्मीद का स्वयं दमन करके। यह उनके लिए आवश्यक धार्मिक…